जब “डारन दे न वो” से किसी को कोई आपत्ति नहीं, तो “दबा बल्लू” से क्यों ? – अरविन्द कुर्रे

तोपचंद, रायपुर। छत्तीसगढ़ में “डारन दे न वो” “खटिया म आना, बत्ती बुझाना” जैसे कई डबल मीनिंग गाने बन चुके है फिर दबा बल्लू गाने का विरोध क्यों किया जा रहा है।
यह कहना है दबा बल्लू गाना के प्रोड्यूसर अरविंद कुर्रे का।
अरविंद के अनुसार “गाने का विरोध केवल मीडिया की सुर्ख़ियों में नजर आ रहा है। विरोध है तो फिर सड़क और प्रशासन तक भी आपत्ति दर्ज होना चाहिए,”
अरविंद राजश्री म्यूजिक छत्तीसगढ़ नाम से बीरगांव में एक स्टूडियो चलते हैं, यह उनका दूसरा गाना है।
अरविन्द गाने की अश्लीलता को लेकर कहते है कि वे अपने वीडियो में यह चीज़ स्पष्ट कर चुके हैं कि “दबा बल्लू” वह अपने दोस्त से गाड़ी भगाने के लिए बोल रहे हैं। अरविन्द ने उदहारण देकर कहा है कि हम लोग जब किसी पार्टी में जाते हैं तो अपने दोस्तों से कहते हैं दबा के खाना, बस ऐसा ही स्लैंग है “दबा बल्लू”, मतलब की गाड़ी को भगा बल्लू।
अरविन्द पेशे से एकाउंट के टीचर है, बीरगांव इलाके में उनके परिवार के एक सदस्य के स्कूल में वे बच्चों को पढ़ाते है। बचपन से ही अरविन्द को एक्टिंग और गायन में रूचि रही है और इसी उद्देश्य से हाल ही में तीन महीने पहले अरविन्द ने राजश्री म्यूजिक का स्टूडियो शुरू किया है।
अरविन्द बताते है कि नए स्टूडियो में नवरात्री को लेकर गाने रिकॉर्डिंग थी। दब्बा बल्लू के सिंगर किशन सेन नवरात्री गीत का रिकॉर्डिंग कर रहे थे। इस दौरान वे अपने एक सहयोगी से बार-बार कह रहे थे। इस दौरान हमने सोचा क्यों न इसे गाने के रूप में संजो दिया जाए।
इसके बाद मैंने और किशन सेन ने मिलकर गाना लिखा और इसे रिकॉर्ड कर इसकी शूटिंग शुरू कर दी। यह गाना शादी के सीजन में हम लोगों ने रिलीज किया था। जिसके बाद यूट्यूब में में अब तक इसे 13 मिलियन लोगों ने देखा है। शादी के सीजन में रिलीज करने का फायदा मिला। इस गाने को खूब पसंद किया जा रहा है। विरोध जैसी कोई बात नहीं है। माता बहनें सभी इस गाने को पसंद कर रही है और इस गाने में थिरकती-गाती नजर आ रही है।
दबा बल्लू के बाद अब राजश्री म्यूजिक “मिठ-मिठ बोली म बसे हे मोर जान रे” रिलीज करने जा रहे हैं।