जनअदालत लाइव : तीन घंटे चली थी नक्सलियों की जनअदालत, जानें तीन घंटे क्या हुआ

तोपचंद, रायपुर। पिछले शनिवार को बीजापुर के तर्रेम थाना इलाके में मुठभेड़ के दौरान अगवा जवान की गुरुवार को सकुशल वापसी हो गई। रिहाई के पहले नक्सलियों ने जंगल में जनअदालत लगाई। तीन घंटे चली जनअदालत के बाद जवान को रिहा कर दिया गया। इन तीन घंटे के दौरान क्या-क्या हुआ, इस बारे में क्षेत्रीय पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने तोपचंद को विस्तार से बताया।
देखें जब जनअदालत के सामने पेश हुए थे राकेश्वर
लौट आया शेर…
नक्सलियों की कैद से रिहा हुए राकेश्वर मनहास
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आसपास के गांवों में जनअदालत का संदेश भेजे जाने के बाद जंगल में सुबह से ही ग्रामीणों का जुटना शुरू हो गया था। दो-ढाई घंटे में जब आसपास के एक दर्जन से ज्यादा गांवों के ग्रामीण एकत्र हो गए तब पामेर एरिया कमेटी के कब्जे में मौजूद सीआरपीएफ जवान राकेश्वर को जन अदालत में लाया गया। जवान के हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थे। जनअदालत में उसके हाथ खोले गए और स्थानीय भाषा में ग्रामीणों को जवान और घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि मुठभेड़ के दौरान जब नक्सली अपने मृत साथियों को ट्रैक्टर-ट्रॉली में ले जा रहे थे, तब जवान राकेश्वर मनहास मूर्छित अवस्था में पाए गए थे। इस पर नक्सली उसे भी अपने साथ ले आए।
इसके बाद एक नक्सली ने ग्रामीणों से कहा कि जंग के नियम के अनुसार अगर दुश्मन जंग के दौरान बेहोश हो जाए तो उसे निहत्था माना जाता है और उसे नहीं मारा जाता है। इसके बाद ग्रामीणों से पूछा गया कि जवान को लेकर उनकी क्या राय है। इस पर सभी ने जवान को रिहा करने की बात कही। इसके बाद राकेश्वर को जवान की सकुशल वापसी के लिए गए समाजसेवियों और पत्रकारों के सुपुर्द कर दिया गया। नक्सलियों ने पत्रकारों से ये भी कहा कि राकेश्वर को सुरक्षित पहुंचाना अब आपकी जिम्मेदारी है।
नक्सलियों ने जनअदालत में नहीं रखी कोई मांग
नक्सलियों ने जनअदालत के दौरान जवान की रिहाई के बदले में कोई मांग नहीं रखी है। हालांकि राजधानी में इस बात की चर्चा है कि नक्सलियों ने उन आदिवासियों की शीघ्र रिहाई की मांग की है, जिन्हें नक्सली बताकर जेल भेजा गया है।
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